लगातार हो रही बारिश से जनजीवन अस्त व्यस्त।घरों से बेघर हुए गरीब लोग # पंचायत के प्रतिनिधि या पदाधिकारी सुध लेने तक नहीं आ रहे।

 

लगातार हो रही बारिश से जनजीवन अस्त व्यस्त।


# घरों से बेघर हुए गरीब लोग

# पंचायत के प्रतिनिधि या पदाधिकारी सुध लेने तक नहीं आ रहे।


रंजीत कुमार - इचाक 


 बीते 1 सप्ताह से दिनभर बारिश होने के कारण जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गई। बारिश के कारण दुकानदारों एवं दैनिक मजदूरों को काफी परेशानियां बढ़ गई है।शहरी क्षेत्र हो या ग्रामीण क्षेत्र हर जगह सड़कों का हाल बेहाल हो गया है। गांव के बाजारो मे बारिश के पानी के वजह से जलजमाव काफी बढ़ गई है। सड़क पर नाले के गंदा पानी बाहर आ गया।जिस कारण राहगीरों की परेशानी बढ़ गई है। आने जाने वाले लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हमेशा जलजमाव रहने से कई तरह की बीमारी भी होने के संभावना बढ़ गई है। सुबह से शाम तक बारिश रहने की वजह से लोग बाजार भी नहीं जा पा रहे हैं। प्रखंड में कई ऐसे गांव हैं जहां पर आजादी के 74 वर्ष बीत जाने के बाद भी पक्की सड़क का निर्माण नहीं करवाया जा सका। जिसमें से मुख्य एक इचाक से दरिया जाने वाली सड़क है। प्रखंड में मुख्य मुख्य पुल भी ढह गया । निम्न जगहों पर समाजसेवी लोग दर्जनों बार लिखित आवेदन देकर सड़क बनाने की मांग किया लेकिन कोई भी अधिकारी - पदाधिकारी सड़क बनाने को लेकर दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। जिसका भुगतान यहां के ग्रामीणों को करना पड़ रहा है। वहीं दूसरी और जलौँध गांव की सड़क की हाल भी बेहाल है। 500 मीटर तक का रास्ता थोड़ी सी बारिश होने की वजह से सड़क पर लगभग 2 से 3 फीट तक पानी भर जाता है।जिस वजह से गांव के निवासियों को घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है।इस समस्या का समाधान के लिए पंचायत के प्रतिनिधि भी दिलचस्पी नहीं ले रहा। मुसीबत इतना बढ़ गई है कि इस बारिश के मौसम में कई गरीब लोगों के आशियाना भी गिर चुका है और बेघर हो गए हैं। गरीब लोग अपने बाल बच्चों को लेकर पंचायत भवन में रहने पर मजबूर हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना को सालों से इंतजार कर रहे हैं गरीब लोग। दिलासा और आश्वासन के अलावे कुछ नहीं मिलता। कई ऐसा घर है जो कभी भी गिर सकती है और बड़ा दुर्घटना घट सकती हैं। इस प्रकार के गरीब लोगों का देखभाल, सुरक्षा और रहने का व्यवस्था आखिर कौन करवाएगा। सवाल गंभीर है क्योंकि अमीर लोग या प्रतिनिधि लोग ऐसे गरीब लोगों के सुध लेने तक नहीं आ रहे हैं।

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