झोपडपट्टी व कुरहा मे रहने पर मजबूर है मजदूर गरीब परिवार
झोपड़पट्टी व कुरहा में रहने को मजबूर है मजदूर परिवार
** जंगलों से घिरा हुआ सुदूरवर्ती गांव डाडी घाघर मैं रहते हैं परिवार
** 6 बच्चों को छोड़कर मजदूरी करने चले जाते हैं पति और पत्नी
** सांप बिच्छू व जंगली जानवरों का लगा रहता है भय
** मुखिया जी के घर चक्कर लगाते लगाते थक गए हैं गरीब मजदूर
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इचाक: प्रखंड मुख्यालय से दूरी लगभग 26 किलोमीटर जंगलों एवं पहाड़ों से घिरा सुदूरवर्ती गांव डाडी घाघर पंचायत के डाडी घाघर गांव में लगभग 6 वर्षों से जागेश्वर गंझु पिता रति गंझु झोपड़पट्टी में रहने का है मजबूर। वहीं पीड़िता का कहना है कि हमारे मिट्टी का घर टूटे काफी दिन हो गया एवं हम अपने घर परिवार बच्चे को लेकर किसी दूसरे जगह में कुरहा व गुफा बनाकर अपने बच्चों का एवं अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं, जो काफी जंगली जानवरों एवं बिच्छू से डर बना रहता है की हमारे परिवार पर आक्रमण ना कर दे। बच्चे को गुफा में छोड़कर हम दोनों पति पत्नी मजदूरी करने के लिए चले जाते हैं जब शाम को घर आते हैं देखते हैं और देखते हैं कि हमारे बच्चे सलामत हैं तो दिल में तसल्ली मिलती है कई बार मुखिया के घर भी चक्कर लगाया लेकिन मुखिया सिर्फ आश्वासन ही देते रहा । लेकिन लगभग 6 साल गुजर गया अभी तक हमारा घर नहीं बन पाया है जो बरसात के दिनों में रात में नींद नहीं पड़ती है पानी हमारे गुफा में घुस जाता है जिसके कारण रात में जगे रहते है, सो नहीं पाते हैं। अगर हमारा मकान शीघ्र नहीं बनाया गया तो कभी भी किसी तरहा से हादसा हम पर हो सकता है। वहीं भाजपा के भाजयुमो जिला कार्यालय मंत्री नंदू मेहता ने कहा कि पंचायती राज्य होते हुए भी इस तरह से परिवार कुरहा- गुफा मेरा रहे यह दुर्भाग्य की बात है। इसे सरकार को संज्ञान में लेते हुए ऐसे परिवार को अतिशीघ्र आवास देने का काम करें इस *संबंध में मुखिया सुमन देवी* व मुखिया प्रतिनिधि राजेंद्र गंझु ने कहा कि लिस्ट में नाम नहीं है इसके कारण से आवास नहीं बन पा रहा है आवास बनने के लिए नाम भेजा गया जैसे ही आएगा आवास गरीब परिवार को बना दिया जाएगा।
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