जनता पस्त , पूंजीपति और राजनेता मस्त- मनोज मेहता
जनता पस्त , पूंजीपति और राजनेता मस्त- मनोज मेहता
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खाद्य पदार्थों और अन्य चीजों पर दैनिक उपयोग बस्तुओं पर जी एस टी लगाकर आम नागरिक को एक और भारी भरकम मंहगाई का सौगात भेंट की गई है।आटा,चावल,दाल,सूजी,मेदा,गुंड,दही,लस्सी,छाछ, पनीर आदि पर जी एस टी लागू हो गया है।अब तक के इतिहास में यह सब वस्तु टैक्स के दायरे से बाहर रहता था। दुख की बात है कि सरकार पैसे की कमी का रोना रोकर जनता पर टैक्स बढ़ाकर उस पैसे को पूंजीपतियों पर मेहरबान होकर उन सब के द्वारा लिए गए बैंक के कर्ज और टैक्स की माफी कर रही है, आम नागरिक मंहगाई -- बेरोजगारी से पस्त है। बीते सात वर्षों में पूंजीपतियों का बैंक के कर्ज का ग्यारह लाख करोड़ रुपया माफ किया गया है।अडानी का बहत्तर हजार करोड़ रुपया माफ किया है। सत्ताधारियों के संरक्षण के कारण इन पूंजीपतियों को दिए गए कर्ज में से बैंक वाले एक से तीन प्रतिशत रकम भी नहीं वसूल पाते हैं,तो दुसरी ओर सरकार जो पैसा पूंजीपतियों को माफ करती है और देश के खजाने से बैंक को चुकता करती है ।वह कुल कर्ज के रकम का आधा भी नहीं होता है।इस तरह सरकार के क्रिया कलाप के चलते पूंजीपतियों राज कर रहें।जनता मंहगाई,वेरोजगारी की मार से पस्त और त्रस्त है।सच कहा जाय तो आज के दिन पूंजीपति एवं सरकार तो मस्त है लेकिन जनता पस्त है।
राज्य की सरकारें भी वोट बैंक के लिए लोक लुभावन योजनाओं के माध्यम से जनता के टैक्स के पैसे को अपना बपौती मानकर खर्च करती है। रोजगार सृजन कैसे हो? महंगाई कम कैसे हो ? आर्थिक विषमता कैसे दूर हो? समाज में भाईचारा कैसे कायम हो इस तरफ न तो केन्द्र सरकार,न तो राज्य की सरकारें और न ही स्थापित किसी राजनैतिक दल के सोच में है।
आज जो भयावह स्थिति बनी हुई है और निकट भविष्य में संकट और गहराने वाली है, उससे निपटने के लिए हम नागरिक को ही तैयार होना होगा।हम सब को ही एकजुट होकर उन सभी रास्ते को जन आन्दोलन की ताकत से बंद करना होगा,जिस रास्ते से हम सब के सभी तरह की सम्पन्नता और खुशहाली हम सब के जीवन से दूर होकर मुट्ठी भर पूंजीपतियों के तरफ चली जा रही है।हम सब को उन सभी सोच को छोड़ना होगा,जिस सोच को पैदा कर राजनेता हम सब को खण्ड खण्ड में बांट कर अपना स्वार्थ पूर्ति करते हैं।आज हम सब को इस मुद्दे को लेकर आवाज उठाना होगा कि सभी तरह की स्थानीय संसाधन और सम्पदा सिर्फ और सिर्फ स्थानीय लोगों की बपौती है।इन सब का उपयोग कर पूर्ण आत्मनिर्भर होने का पहला और आखिरी अधिकार सिर्फ और सिर्फ स्थानीय लोगों का है, किसी शोषक पूंजीपति का नहीं। उक्त बाते प्रगतिशील मगही समाज हजारीबाग जिला संगठन सचिव मनोज मेहता ने कही।
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